हम सब मानव स्वरुप में इस प्रथ्वी के सबसे मूल्यवान तत्व हैं और जानते हैं की जीवन अजर, अमर, और अविनाशी नहीं है बल्कि कोई भी शाम हमारी जिन्दगी की आखरी शाम हो सकती है, हमें इस सत्य का भी अहसास है कि हम जिनके आसपास रहते है या जिनके साथ रहते हैं सब बारी बारी से अलग होते चले जायेंगे और दुनिया फिर भी यूँ ही चलती रहेगी, शायद जन्म और म्रत्यु कि यथार्थता के बीच के भंवर को ही हम जीवन मानते हैं जबकि सच्चाई ये है की जन्म और म्रत्यु के अलावा बाकि सब उस द्रश्य की तरह है जो हमारे जाने के बाद अद्रश्य हो जायेगा और केवल जन्म और मर्त्यु कि यथार्थता ही शेष बचेगी |
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