Friday, December 5, 2008

अब मै चुप रहूँगा

मैंने जब सोचा की आवाज उठाउंगा तो पता नही कितने नाजुक रिस्तों ने मुझे खामोश होने के लिए मजबूर किया, मैं जिसने देश की असली तस्वीर दिखाने की कोशिश की तो उसे रोक दिया गया क्योंकि शायद अपनों को ये डर था की कहीं मैं खो न जाऊँ, मुझे मालूम है एक एक शहादत की हकीक़त, और हर बन्दे का खून मां के खून का हवाला देता है बात सिर्फ़ मुंबई की नही है पुरे हिंदुस्तान , हर शहर, हर मोहल्ले, हर घर और हर परिवार की है, मैं अदना हूँ मगर हिन्दुस्तान की संवेदना हूँ ब्लास्ट के वक्त मैं किस राज्य में था इससे फर्क नही पड़ता, फर्क ये पड़ता है मैं अब तक जिन्दा क्यों हूँ , मैं एक आम आदमी हूँ लेकिन मेरी मां, मेरी बेटी, मेरी पत्नी, मेरे पिता और मेरा पड़ोसी सब इस आतंकवाद की आग में जले हैं आज मैं सो जाऊं तो मेरे पास नींद नही है

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