हम सब मानव स्वरुप में इस प्रथ्वी के सबसे मूल्यवान तत्व हैं और जानते हैं की जीवन अजर, अमर, और अविनाशी नहीं है बल्कि कोई भी शाम हमारी जिन्दगी की आखरी शाम हो सकती है, हमें इस सत्य का भी अहसास है कि हम जिनके आसपास रहते है या जिनके साथ रहते हैं सब बारी बारी से अलग होते चले जायेंगे और दुनिया फिर भी यूँ ही चलती रहेगी, शायद जन्म और म्रत्यु कि यथार्थता के बीच के भंवर को ही हम जीवन मानते हैं जबकि सच्चाई ये है की जन्म और म्रत्यु के अलावा बाकि सब उस द्रश्य की तरह है जो हमारे जाने के बाद अद्रश्य हो जायेगा और केवल जन्म और मर्त्यु कि यथार्थता ही शेष बचेगी |
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Friday, March 15, 2013
Thursday, March 14, 2013
kitna Badal Gaya Insan - कितना बदल गया इंसान
परिवर्तन और व्यापर कि ऐसी बयार चली है की इंसान और इंसानियत भी इससे नहीं बच सकी, इंसान चंद रुपयों की जरुरत के लिए इतना बदल गया कि उसे अपना धरम और ईमान भी सरेबाजार नीलाम करने में कोई परहेज नहीं रहा, आज आलम ये है की आदमी अपने अस्तित्व और वजूद को साबित करने के लिए या अपने थोड़े से स्वार्थ की पूर्ती के लिए किसी का कितना भी बड़ा नुकसान करने से पीछे नहीं हटता बल्कि उसे दूसरों को प्रताड़ित करने में आनंद की अनुभूति होती है । शायद आज के इंसान को ये लगता है कि उनकी उन्नति दूसरों की अवनती पर निर्भर है यही कारन है की वो दूसरों को असफल कर अपनी सफलता का मार्ग खोजता है ।
छोटी सी जिंदगी है, वो भी आज है पर कल का कोई ठिकाना नहीं, फिर हम इसे आपसी सौहार्द और प्रेम के साथ क्यों नहीं बिता सकते, क्यों नहीं हम लोगों की ख़ुशी और मुस्कराहट का कारक बन सकते, क्यों नहीं हम आपसी मतभेदों और मनभेदों को दूर कर अपने आस पास खुशहाली का वातावरण तैयार कर सकते ...... शायद इसलिए कि हमारा मन और मस्तिष्क अब स्वाभिमानी नहीं अभिमानी हो चुका है, हम कुछ हासिल करने के नाम पर बहोत कुछ खो चुके हैं, हम जितनी उच्च स्थति को हासिल कर रहे हैं उतनी ही निम्नता और संकीर्णता हमारे ह्रदय में समाती जा रही है, पैसा अब हमारी जरुरत नहीं बल्कि हमारे अभिमान का कारक बन चुका है, अब घरों पर केवल नाम और ओहदे बचे है इंसान और इंसानियत पद और प्रतिष्ठा के दांवपेंच में कहीं दफ़न हो चुकी है ।
हमें याद रखना चाहिए कि हमारे कर्म ही हमारी सफलता का निर्धारण कर सकते हैं, अगर हम सोचते है की किसी को परेशान करके हम चैन से जी पाएंगे तो ये हमारी गलत फहमी है क्योंकि अगर हम किसी के साथ बुरा करने का प्रयास करते हैं तो इश्वर हमारे साथ भी बुरा करने वाला कहीं ना कहीं तैयार रखता है और वक़्त आते ही हमें हमारे कर्मों का फल मिल जाता है।
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